Friday, May 22, 2009

गिरता हूँ मैं, उठता हूँ मैं,
सिर्फ़ अपने आप से लड़ता हूँ मैं...

तुम्हारी याद का सहारा है एक,
आशा की किरन का इशारा हैं.

तुम्हारा मुस्कुराता चेहरा आंसू ला देता आंखों में,
पर फिर भी तुम्हारी हँसी सुनने को दिल तरस जाता हैं।

5 comments:

Unknown said...

aapka swagat hai
all the best

गोविंद गोयल, श्रीगंगानगर said...

narayan narayan

इस्लामिक वेबदुनिया said...

पढ़कर अच्छा लगा

निशांत मिश्र - Nishant Mishra said...
This comment has been removed by the author.
दिल दुखता है... said...

हिंदी ब्लॉग की दुनिया में आपका स्वागत है...